धान की फसल में लग गए हैं ये रोग तो क्या करें किसान?, जानिए रोकथाम के उपाय
Paddy Crop: धान के प्रमुख रोगों में जीवाणु पर्ण, अंगमारी रोग, पर्ण झुलसा, पत्ती का झुलसा रोग, ब्लास्ट या झोंका रोग, खैरा रोग, बकानी रोग, स्टेम बोरर कीट, लीफ फोल्ड कीट, हॉपर, ग्रॉस हॉपर, सैनिक कीट आदि हैं. इनकी रोकथाम समय पर की जानी चाहिए.
(Image- Freepik)
(Image- Freepik)
Paddy Crop: चालू वित्त वर्ष में खरीफ बुवाई सत्र में अब तक धान (Paddy) का रकबा लगभग 4% बढ़कर 398.08 लाख हेक्टेयर रहा. पिछले वर्ष की समान अवधि में धान का रकबा (Paddy Acreage) 383.79 लाख हेक्टेयर था. धान की फसल में कई रोग लग जाते है. अगर समय पर इसकी रोकथाम के लिए उपाय नहीं किए गए तो फसल बर्बाद हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि किसान अपनी फसलों का निरीक्षण करते रहे.
धान के रोग और रोकथाम
धान के प्रमुख रोगों में जीवाणु पर्ण, अंगमारी रोग, पर्ण झुलसा, पत्ती का झुलसा रोग, ब्लास्ट या झोंका रोग, खैरा रोग, बकानी रोग, स्टेम बोरर कीट, लीफ फोल्ड कीट, हॉपर, ग्रॉस हॉपर, सैनिक कीट आदि हैं. इनकी रोकथाम समय पर की जानी चाहिए.
ये भी पढ़ें- बांस की खेती बनाएगी मालामाल, एक बार लगाएं 40 साल तक कमाएं
पर्ण झुलसा (शीथ ब्लाइट)
TRENDING NOW
Jharkhand Winner List: झारखंड चुनाव में इन नेताओं ने पाई जीत, जानिए किसके हिस्से आई हार, पल-पल का अपडेट
Maharashtra Winners List: महाराष्ट्र की 288 सीटों पर कौन जीता, कौन हारा- देखें सभी सीटों का पूरा हाल
SIP Vs PPF Vs ELSS: ₹1.5 लाख निवेश पर कौन बनाएगा पहले करोड़पति? जानें 15-30 साल की पूरी कैलकुलेशन, मिलेंगे ₹8.11 Cr
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Maharashtra Election 2024: Mahayuti की जीत के क्या है मायने? किन शेयरों पर लगाएं दांव, मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने बताया टारगेट
यह रोग फफूंद द्वारा होता है. इसमें पत्ती की छाल पर 2-3 सेमी लंबे हरे भूरे रंग के धब्बे पड़ते हैं, जोकि बाद में चलकर भूसे के रंग के हो जाते हैं. धब्बों के चारों तरफ बैंगनी रंग की पतली धारी बन जाती है.
रोकथाम- आईसीएआर के मुताबिक, इसकी रोकथाम के लिए ट्राइकोडर्मा विरडी 1% डब्ल्यू.पी 5-10 ग्राम प्रति लीटर पानी (2.5 किग्रा) 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम (50% डब्ल्यूपी) 500 ग्राम या थायोफिनेट मिथाइल (70% डब्ल्यूपी) 1 किग्रा, कार्बेन्डाजिम (50% डब्ल्यूपी) 500 ग्राम या कार्बेन्डाजिम (12%) के साथ मैंकोजेब (63% डब्ल्यूपी) 750 ग्राम या प्रोपिकोनाजोल (25% ईसी) 500 मिली या हैक्साकोनाजोल (5% ईसी) पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
ये भी पढ़ें- Success Story: इस युवा किसान ने किया कमाल, 70 हजार को बना दिया ₹20 लाख, जानिए सफलता की कहानी
पत्ती का झुलसा रोग
पौधे की छोटी अवस्था से लेकर परिपक्व अवस्था तक यह रोग कभी भी हो सकता है. पत्तियों के किनारे ऊपरी भाग से शुरू होकर बीच तक सूखने लगते हैं. सूखे पीले पत्ते के साथ-साथ राख के रंक के चकत्ते भी दिखाई देते हैं. बालियां दानारहित रह जाती है.
रोकथाम- इसकी रोकथाम के लिए 74 ग्राम एग्रीमाइसीन-100 और 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (फाइटोलान)/ ब्लाइटॉक्स-50/क्यूप्राविट को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से 3-4 बार 10 दिनों के अंतराल से छिड़काव करें. इस रोग के लगने पर नाइट्रोजन की मात्रा कम कर देनी चाहिए.
ये भी पढ़ें- PM Kisan 15th Installment: 15वीं किस्त पाने के लिए ये 3 काम करवाना है जरूरी, वरना अटक जाएगा पैसा
खैरा रोग
इस रोग से धान की निचली पत्तियां पीली पड़नी शुरू हो जाती हैं और बाद में पत्तियों पर कत्थई रंग के छिटकवां धब्बे उभरने लगते हैं. पौधों की बढ़ोतरी रुक जाती है.
रोकथाम- 25 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई से पहले खेत की तैयारी के समय डालना चाहिए. रोकथाम के लिए 5 किग्रा जिंक सल्फेट और 2.5 किग्रा चूना 600-700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें.
ये भी पढ़ें- किसानों के लिए जरूरी खबर! बिहार में खाद के नए दाम जारी, जानिए किस रेट पर मिलेगा Urea और DAP
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
03:53 PM IST